बाजार समिति के भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापारियों का भड़क उठा गुस्सा, AIMIM के नेतृत्व में होगा उग्र आंदोलन

छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद), 16 जून –
कृषि उत्पन्न बाजार समिति में जारी भ्रष्टाचार, अनियमितताएं और अवैध निर्माणों के खिलाफ व्यापारियों का गुस्सा फूट पड़ा है। वर्षों से बाजार में कार्यरत गालाधारकों को न तो निर्माण की अनुमति मिली, न ही मंजूर नक्शा या पूर्णता प्रमाणपत्र। इससे व्यापारियों के व्यवसाय, लोन और अन्य कामकाज ठप पड़ गए हैं।
व्यापारियों ने आरोप लगाया है कि समिति ने राजनीतिक दबाव में 2018 और 2024 में जो संशोधित नक्शे मंजूर किए, उनमें सार्वजनिक उपयोग की जमीनें, पार्किंग और सुविधाएं निजी निर्माण के लिए दर्शाई गईं। इसके चलते व्यापारियों में भारी नाराजगी है।
मुख्य जलगांव रोड स्थित बाजार की जमीन अब शहर सीमा में आने के कारण उसकी कीमतें आसमान छू रही हैं। इसका फायदा उठाकर कुछ दलालों की मदद से बाजार समिति ने प्लॉट्स की अवैध बिक्री शुरू कर दी है। औरंगाबाद मर्चंट्स असोसिएशन ने 2020 से लगातार आपत्ति दर्ज की, लेकिन उसे दरकिनार किया गया।
विरोध करने वाले व्यापारियों को डराने के लिए "स्ट्रक्चरल ऑडिट" का बहाना बनाया गया। सेल हॉल क्रमांक 5 को असुरक्षित बताकर दुकानों को खाली करने का नोटिस दिया गया। जब व्यापारियों ने स्वतंत्र ऑडिट की मांग की, तो उन पर दबाव बनाया जाने लगा।
इसके साथ ही व्यापारियों ने आरोप लगाया कि पहले जिस जमीन पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण रुकवाया गया था, अब उसी पर "हॉस्टल" के नाम पर निर्माण करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। व्यापारियों ने स्पष्ट किया कि उन्हें हॉस्टल से आपत्ति नहीं है, लेकिन निर्माण नियमानुसार और विवाद रहित जगह पर हो।
व्यापारियों ने राज्यपाल को गुमराह करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि महामहिम राज्यपाल को गलत जानकारी देकर यह बताया गया कि व्यापारी विकास कार्यों का विरोध कर रहे हैं, जबकि वे केवल अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हैं।
सुभेदारी विश्रामगृह में आयोजित पत्रकार परिषद में AIMIM के पदाधिकारी और व्यापारी नेता जैसे नासेर सिद्दीकी (पूर्व नगरसेवक), हरी पवार, ईसा खान, राकेश जैन, वज़ीर शाह, शारेक नक़्शबंदी, मोहम्मद असरार, कैसर शाह आदि ने स्पष्ट किया कि यदि बाजार समिति ने तत्काल अन्यायपूर्ण कार्यवाही बंद नहीं की, तो AIMIM के नेतृत्व में तीव्र आंदोलन छेड़ा जाएगा।
व्यापारियों की यह चेतावनी अब प्रशासन के लिए एक गंभीर संकेत बन चुकी है।